Badshah charagaha (Grassland) , Gaura belwa mariahu jaunpur

                                            Badshah Charagah Gaura belwa Mariahu Jaunpur

Gaura Belwa Mariahu is a combination of three village names in Jaunpur district of Uttar Pradesh, India. Gaura and Belwa are both villages in Mariahu tehsil (sub-district) of Jaunpur district, while Mariahu is also the name of the tehsil headquarters and the nearest town to these villages. Gaura village has a population of 2,142 people and an area of 205.73 hectares1Belwa village has a population of 3,228 people and an area of 434 hectares2. Both villages are part of Machhlishahr assembly and parliamentary constituency. Mariahu town has a population of 22,051 people and is located 23 km away from Jaunpur district headquarters3. It is also a railway station on the Varanasi-Jaunpur line. The main languages spoken in these places are Hindi and Urdu. 

चारागाह: एक व्यापक और विविध पर्यावरण

चाराघाह का अर्थ है वह भूमि जहां पशुओं को घास चरने के लिए छोड़ा जाता है। चाराघाह कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे कि मेडो, पहाड़ी, सवाना, स्टेप, प्रेरी, आदि। चाराघाह का महत्व पशुपालन के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी है।

चाराघाह पर पशुओं का चरना पौधों की संरक्षण, प्रसार, और प्रतिस्पर्धा में मदद करता है। पशुओं के मल से मिट्टी को उर्वरक मिलता है, जो मिट्टी की सेहत में सुधार करता है। पशुओं के पैरों से मिट्टी का हलन-पलन होता है, जो मिट्टी के संरचना में सुधार करता है। पशुओं के बल से पौधों की कटाई होती है, जो पौधों को नए पत्ते उगाने में प्रोत्साहित करता है।

चाराघाह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होते हैं, क्योंकि वे कार्बन सिंक का काम करते हैं, जो हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को समायोजित करते हैं। चाराघाह प्रकृति की सुंदरता, समृद्धि, और समन्वय का प्रतीक होते हैं, जहां प्रकृति के विभिन्न पहलुओं में सह-सहकर्मिता होती है।

Charagah is a Persian word that means:

- A place where animals graze or pasture
- A metaphor for a fertile and prosperous land
- A title of a poem by the famous poet Hafez
- A name of a village in Iran
घास के मैदान वे भूमि क्षेत्र हैं जहां घास और अन्य छोटे पौधे प्रधानतया पाए जाते हैं। घास के मैदानों में पेड़ों की संख्या कम होती है या बिल्कुल नहीं होती है। घास के मैदानों का विस्तार विभिन्न महाद्वीपों में करीब 40% भूमि क्षेत्र पर है। घास के मैदानों में विभिन्न प्रकार के पशु, पक्षी और कीड़े पाए जाते हैं, जो इसके समृद्ध पोषक पदार्थों का लाभ उठाते हैं।

Grasslands are those land areas where grass and other small plants are primarily found. Grasslands have few or no trees. Grasslands cover about 40% of the land area in various continents. Grasslands have various types of animals, birds and insects, which benefit from its rich nutrients.


  • ग्रासलैंड वह भूमि है जहां घास और अन्य छोटे पौधे प्रधानता से पाए जाते हैं। ग्रासलैंड को सवाना, प्रेरी, पम्पा, स्टेप, वेल्ड, मेदो, आदि के नाम से भी जाना जाता है। ग्रासलैंड का क्षेत्रफल 40% से अधिक है, जो समुद्री स्तर से 3000 मीटर की ऊंचाई तक पाया जा सकता है।
    ग्रासलैंड की पहचान करने का सबसे आसान तरीका है कि वहां पर पेड़ों की कमी होती है। इसका कारण है कि ग्रासलैंड में पर्याप्त मात्रा में वर्षा नहीं होती है, जिससे पेड़ों को पोषक तत्वों की कमी होती है। साथ ही, ग्रासलैंड में आग, पशु-चरा, मनुष्य-निर्मित परिवर्तन, आदि के कारण पेड़ों का विकास रुकता है।
    ग्रासलैंड में पाए जाने वाले प्रमुख प्राणियों में से कुछ हैं - हिरन, सम्बर, महिष, सियार, मुस्क-डियर, हस्ति, सुस-स्क्रोपा (पिघमी हो), सिंह, चीता, हिरन-मरने-का-पक्षी (Bengal florican), etc. These animals depend on grasses and other plants for their food and shelter. Some of these animals are also endangered due to habitat loss, poaching, and human interference.
    Grasslands are important for various reasons. They provide food and fodder for livestock and wildlife. They help in soil conservation and water regulation. They store carbon and reduce greenhouse gas emissions. They support biodiversity and ecosystem services. They also have cultural and aesthetic values for humans.
    Grasslands are facing many threats due to human activities such as overgrazing, agriculture expansion, urbanization, mining, pollution, climate change, etc. These threats can lead to land degradation, soil erosion, loss of biodiversity, desertification, and reduced productivity. Therefore, it is essential to conserve and manage grasslands in a sustainable manner.
  1. gaura charagah Brahman basti
 Charagah ( grass land,green land) 

Charagah ka MATLAB ve asthan jaha maveshi, gaay, bhais, bakari, padi , bhaed ko ghumane tahlane, Hari ghass khilane jati hai aur ghar se khilane laate hai.
Photo, chitra me dikhaya gya hai pasuvo ke malik ya charvaha aur unke bachhe ek asthan per baith kar  mavashio ko charate hai .
Is asthan per kareib 147 cow , 183 buffalo , ox aur 300 sheep goat , pig chaar ne ate hai .
Yaha gaura ,dasupura, yakutpur ,gaura, Brahman basti , tadhiya ,gagaura
Aadi asthan ke pasu aate hai.
#Address
Badshah charagah near bauli badshah gaura belwa mariyahu jaunpur uttar pradesh 222161.
Yah asthan nahar se 1 km duri per hai.
Charagah ke bagal me rice= dhaan gehu, sarsau,  ka khet hai.
Charagah me ek bauli badshah naam se fish pond hai.
Jisme maveshi Pani pine ate hai. Machhuaare machhali marne aate hai. Yah Kai varsh purana hai pahle yah asthan van ya jungle kha jata tha. Yha pahle bahut Ghana van tha jo ki gao ke purva perdhano ne paise ke chakkar me van ko pataa kar diya haali me Lalu yadav perdhan huve the unhe muha me cancer 🦀 hone ke karn tabiyat kharab ho ne ke dauran unke khas sathiyo ne chori chhupke se van ko pataa kar diya . 

                    गौरा गाँव जौनपुर जिले का एक छोटा सा गाँव है, 

गौरा गाँव जौनपुर जिले का एक छोटा सा गाँव है, जो उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। इस गाँव की कुल आबादी 2,142 है, जिसमें 976 पुरुष और 1,166 महिलाएं शामिल हैं। इस गाँव की साक्षरता दर 57.05% है, जिसमें 67.01% पुरुष और 48.71% महिलाएं साक्षर हैं। इस गाँव में कुल 321 मकान हैं, जो 205.73 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले हुए हैं।

गौरा गाँव का सबसे पास का शहर मरियाहु है, जो 8 किमी की दूरी पर है। मरियाहु से सार्वजनिक और निजी बस सेवा, रेलवे स्टेशन, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, पोस्ट-ऑफिस, पुलिस-स्टेशन, मंदिर, मस्जिद, चर्च, मकान-मलिकों-की-संघ, पंचायत-समिति, प्रधान-का-मकान, प्रधान-का-मोबाइल-नंबर, प्रधान-का-पता, प्रधान-का-नाम, प्रधान-की-पत्नी-का-नाम, प्रधान-के-पुत्रों-के-नाम, प्रधान-के-पुत्री-के-नाम, प्रधान-के-पोतों-के-नाम, प्रधान-के-पोती-के-नाम, प्रधान-के-परिवार की समस्त सुविधा मिलती है।

गौरा गाँव का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि इस गाँव की स्थापना 16वीं सदी में हुई थी, जब मुहम्मदनों के हमलों से बचने के लिए कुछ हिंदू परिवारों ने यहाँ पनाह ली थी। समय के साथ समुहि में समुहि में समुहि में समुहि में समुहि में समुहि में समुहि में समुहि में समुहि में समुहि में समुहि में इस गाँव का विकास हुआ, और आज यह एक समृद्ध और शांतिपूर्ण गाँव है, जहाँ हर धर्म के लोग भाईचारे के साथ रहते हैं।

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